राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहा है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने हाल ही में अनौपचारिक अनुभव की मान्यता का सुझाव दिया है। अर्थात UGC ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के द्वारा हासिल किए अनौपचारिक अनुभव को औपचारिक मान्यता देने विचार कर रही है।
इस महत्वपूर्ण निर्णय की वजह से अनौपचारिक रूप से अर्जित कौशल और योग्यताओं को औपचारिक मान्यता दी जाएगी जिससे काफी बड़े पैमाने पर कार्य बल को प्रगति मिलेगी।
क्या है UGC की यह पहल
इस पहल को आसान भाषा में यदि समझा जाए तो हम में से कई सारे छात्र ऐसे होते हैं जो पहले से ही किसी क्षेत्र में काम कर रहे होते हैं या जिनके पास किसी विशिष्ट ज्ञान की पारिवारिक जानकारी होती है। ऐसे में इस प्रकार के शिक्षा अनुभव को पूर्व शिक्षा अनुभव कहा जाता है जो की अनौपचारिक अनुभव में गिना जाता है।
इस अनौपचारिक अनुभव को अब भविष्य में विश्वविद्यालय अनुदान द्वारा औपचारिक अनुभव में जोड़ा जाएगा। इस महत्वपूर्ण निर्णय से छात्रों को काफी लाभ मिलने वाला है जिससे छात्रों द्वारा गैर औपचारिक, अनौपचारिक और अनुभवात्मक शिक्षा को औपचारिक मान्यता प्रदान कर दी जाएगी।
अनौपचारिक ज्ञान को मिलेगी औपचारिक मान्यता
UGC का इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कहना है कि इस प्रकार का कदम उठाने पर बेहतर कार्य बल सुनिश्चित हो पाएगा । वहीं उच्च शिक्षा एकीकृत रूप से काम कर पाएगी । इन महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देशों के अंतर्गत वे सभी छात्र और कर्मचारी जो अनौपचारिक और अनुभवात्मक शिक्षा पहले से ही हासिल कर चुके हैं उन्हें शैक्षणिक क्रेडिट दिया जाएगा।
अर्थात उनके फॉर्मल शिक्षण के दौरान उनके द्वारा प्राप्त किए गए पूर्व शिक्षा के अनुभव को भी जोड़ा जाएगा और उन्हें बेहतर कौशल प्रशिक्षण उनके ज्ञान के आधार पर दिया जाएगा जिसकी वजह से उच्च क्वालिटी का कार्य बल निर्मित हो पाएगा और लोगों को आजीवन शिक्षा की कांसेप्ट का भी ज्ञान मिलेगा।
RECOGNITION OF PRIOR LEARNING
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें विदेश में इस अनौपचारिक ज्ञान का बहुत ज्यादा महत्व माना जाता है। recognition for prior learning अर्थात औपचारिक रूप से शिक्षा हासिल करने से पहले ही यदि व्यक्ति के पास में पूर्व शिक्षा की वजह से किसी प्रकार की स्पेशल नॉलेज है तो ऐसे व्यक्तियों को पढ़ाई के दौरान अतिरिक्त लाभ दिए जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया ,दक्षिण अफ्रीका,-न्यूजीलैंड कनाडा जैसे राष्ट्रों में RPL अर्थात रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिया जाता है और ऐसे छात्रों को अतिरिक्त बेनिफिट भी मिलते हैं।
पूर्व शिक्षा में क्या-क्या सम्मिलित किया जाता है
पूर्व शिक्षा के अंतर्गत यदि कोई पहले से हीनौकरी कर चुका है और अनुभव प्राप्त कर चुका है ।अथवा किसी संस्था में स्वयं सेवा कर अनुभव प्राप्त कर चुका है। इसके अलावा यदि कोई छात्र स्व अध्ययन कर आगे पहुंचा है। या जीवन और आस पास के अनुभव से काफी कुछ सीख चुका है तो ऐसे उम्मीदवारों को अतिरिक्त क्रेडिट प्रदान किए जाते हैं।
पूर्व शिक्षा के अंतर्गत इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप को भी महत्व दिया जाता है जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि उम्मीदवार के पास पहले से ही व्यवहारिक ज्ञान मौजूद है। ऐसे में उम्मीदवार का एकेडमिक ज्ञान भी पहले से बेहतर होता है।
पूर्व शिक्षा के अंतर्गत ऑनलाइन पाठ्यक्रम वेबीनार के साथ-साथ कार्यशालाओं और सेमिनार के माध्यम से प्राप्त किए गए कौशल को भी मान्यता दी जा रही है।
इस पूर्व शिक्षा के अंतर्गत उम्मीदवार द्वारा व्यक्तिगत रुचि, सहकर्मियों से सीखे गए ज्ञान ,या सामुदायिक समूह में भागीदारी के द्वारा प्राप्त किए गए कौशल विकास को भी मान्यता दी जा रही है।
किस प्रकार काम करेगा यह कॉन्सेप्ट
- इस कॉन्सेप्ट के अंतर्गत उम्मीदवार को अपने द्वारा किए गए कार्य , हासिल की गई पूर्व शिक्षा, अनुभव, रिकॉर्ड , प्रोजेक्ट इत्यादि के दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
- उम्मीदवारों द्वारा उपलब्ध करवाए गए इन दस्तावेजों को सत्यापित किया जाएगा और पैनल द्वारा उम्मीदवारों से कुछ प्रोजेक्ट पर काम करवाया जाएगा तथा उनके लेखन कौशल को परखा जाएगा।
- इस संपूर्ण प्रक्रिया के अंतर्गत उम्मीदवार द्वारा उपलब्ध करवाये दस्तावेज और पैनल द्वारा ली गई परीक्षाओं और प्रोजेक्ट के आधार पर उम्मीदवारों के ज्ञान का सत्यापन किया जाएगा।
- इस संपूर्ण प्रक्रिया के अंतर्गत उम्मीदवार के ज्ञान और संचार कौशल का आकलन इंटरव्यू और मौखिक परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा।
- तत्पश्चात संपूर्ण दस्तावेजों और पोर्टफोलियो को संकलित किया जाएगा और उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट कर रिकॉग्निशन फॉर प्रायर लर्निंग के अंतर्गत मूल्यांकित किया जाएगा।
इस योजना से क्या लाभ होंगे
- इस फैसले से सभी क्षेत्रों में पहले से ही इंटर्नशिप कर चुके अथवा स्व अध्ययन कर चुके छात्रों को काफी फायदा होगा।
- इस फैसले की वजह से छात्रों को कुछ हद तक पाठ्यक्रम में छूट प्रदान की जाएगी।
- वहीं ऐसे विषय जिनमें उनके पास पहले से ही काफी सारा ज्ञान उपलब्ध है उन विषयों में भी छूट उपलब्ध करवाई जाएगी ।
- वहीं कई मामलों में कोर्स अपग्रेड करने की छूट भी छात्रों को दी जाएगी।
- साथ ही साथ लंबे समय तक चलने वाले कोर्सेज को छात्र अब कम समय में पूरा कर पाएंगे।
- इस महत्वपूर्ण फैसले की वजह से उच्च शिक्षा में काफी सारे रास्ते खुलेंगे जहां अनुभव और अनौपचारिक शिक्षा को महत्व दिया जाएगा जिससे व्यवहारिक ज्ञान और अकादमिक नॉलेज के बीच में बढ़ रही खाई को भरा जा सकेगा।
- वही इस फैसले के माध्यम से देश में हुमन रिसोर्स की क्वालिटी भी बढ़ेगी जिसकी वजह से बेहतर कर्मचारी और शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित हो पाएगी।
- साथ ही ऑफिसेज में भी बेहतर वर्कफोर्स सुनिश्चित हो पाएगी।
- कुल मिलाकर रिकॉग्निशन फॉर प्रायर लर्निंग की वजह से छात्रों को काफी हद तक सहायता मिलेगी और शिक्षण क्वालिटी का विकास होगा।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर UGC द्वारा प्रस्तावित यदि इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय ले लिया जाता है तो देश के शिक्षा स्तर को बेहतरी मिलेगी वहीं साथ ही साथ छात्रों का सर्वांगीण विकास भी हो सकेगा।