Sanjiv Khanna New Chief Justice: न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कल भारत के 51 वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली । उनके इस शपथ महोत्सव के दौरान भारत के वाइस प्रेसिडेंट जगदीप धनगर, प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह तथा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अन्य मिनिस्टर्स मौजूद थे। न्यायाधीश खन्ना ने यह शपथ चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के पश्चात ली और अब जस्टिस संजीव खन्ना भारत के चीफ जस्टिस के रूप में अगले 6 महीने तक कार्यरत रहेंगे । इस शपथ समारोह का उद्घोष प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू के साथ हुआ जहां उन्होंने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को 51 वें न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलवाई। यह समारोह भारत के राष्ट्रपति भवन में कई बड़े और दिग्गज न्यायधीशों और मिनिस्टर्स के सामने आयोजित किया गया।
जस्टिस खन्ना अब अगले 6 महीने तक के लिए भारत के चीफ जस्टिस के रूप में काम करेंगे। जानकारी के लिए बता दें इनका रिटायरमेंट 13 मई 2025 को होने वाला है। ऐसे में 64 वर्षीय जस्टिस संजीव खन्ना अगले 6 महीने तक भारत की न्याय व्यवस्था की देखरेख करेंगे और कुछ महत्वपूर्ण कानूनों में संशोधन भी करेंगे । जस्टिस संजय खन्ना जस्टिस DY चंद्रचूड़ के कार्यकाल के दौरान बचे हुए सारे संशोधन पूरे करेंगे वहीं कुछ नए फैसले भी लेंगे और न्याय व्यवस्था को बरकरार रखेंगे ।
कौन है CJI संजीव खन्ना और क्या है इनका बैकग्राउंड?
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें जस्टिस संजीव खन्ना को वकालत विरासत में मिली है। जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहे हैं। वही इनके चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के में मशहूर जज थे। इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान इनका परिवार भारतीय न्याय व्यवस्था संभाल रहा था। अपने चाचा से प्रभावित होकर ही जस्टिस संजीव खन्ना ने वकालत को करियर के रूप में चुना। जस्टिस संजीव खन्ना 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की पढ़ाई कर चुके हैं और उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत तीस हजारी कोर्ट से की थी। इसके बाद वे विभिन्न न्याय संगठनों में कार्यरत रहे और 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने । यह पद उन्होंने 13 सालों तक संभाला और 2019 में जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के जज बने हालांकि इस दौरान उन्हें CJI के लिए भी प्रमोट किया जा रहा था।
किस प्रकार CJI का चुनाव किया जाता है?
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें CJI अर्थात चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का चुनाव करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोलेजियम तैयार किया जाता है। इस कॉलेजियम का अर्थ होता है सिफारिश ,सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा चुने हुए जजों की सिफारिश केंद्र को की जाती है । केंद्र सरकार इन सिफारिश को स्वीकार करती है और सुप्रीम कोर्ट में अनुभव के आधार पर सीनियर जज को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनाया जाता है । यह प्रक्रिया मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर फॉर द अपॉइंटमेंट ऑफ़ सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में गठित की जाती है जिसमें हमेशा सबसे सीनियर जज को ही प्राथमिकता दी जाती है । परंतु इंदिरा गांधी के कार्यकाल में दो बार यह परंपरा टूट चुकी है जब इंदिरा गांधी ने सबसे सीनियर जज को नहीं बल्कि अपने पसंद के जज को ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनाया था।
आने वाले समय मे लेंगे रेप को लेकर महत्त्वपूर्ण फैसले
जस्टिस खन्ना इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जज भी रहे हैं । इन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 65 महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसले भी दिए हैं। इसके अलावा जस्टिस संजय खन्ना करीबन 275 बेंच का हिस्सा भी रहे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना 64 वर्ष के हैं जिन्होंने अब तक भारत की हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न मुद्दों की सुनवाई की है । इनमें सबसे महत्वपूर्ण फैसले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और रेवोकेशन ऑफ़ आर्टिकल 370 को लेकर दिए गए थे ।
इसके साथ ही इन्होंने अपनी बेंच के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक भी बताया था। ऐसे में आने वाले समय में जस्टिस संजीव खन्ना भारत के कानून के अंतर्गत मैरिटल रेप समेत पांच बड़े का मामलों में सुनवाई भी करने वाले हैं जिसको देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि जस्टिस संजीव खन्ना इन मामलों में बड़े फैसले लेकर न्याय व्यवस्था में इतिहास रचेंगे।
6 महीने के कार्यकाल में लेंगे 5 बड़े फैसले
संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में 6 साल के करियर में कई सारे बड़े फैसले भी लिए हैं । उन्होंने 115 फैसले इस कार्यकाल के दौरान लिए और आने वाले समय में जस्टिस संजीव खन्ना DY चंद्रचूड़ के कार्यकाल के पेंडिंग फसलों पर निर्णय लेने वाले हैं ,जिसमें पांच बड़े मामलों की सुनवाई की जाएगी । इस कार्यकाल के अंतर्गत जस्टिस संजीव खन्ना मैरिटल रेप केस, इलेक्शन कमीशन के सदस्यों की अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया, बिहार जातिगत जनसंख्या की वैधता ,सबरीमाला केस के रिव्यू, राजद्रोह की संवैधानिकता जैसे कई बड़े मामलों की सुनवाई करने वाले हैं।
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निष्कर्ष
कुल मिलाकर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल के समाप्ति के पश्चात अब भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में संजीव खन्ना आने वाले समय में भारत की न्याय व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लेने वाले हैं । वहीं विभिन्न फैसलों में संशोधन भी करने वाले हैं। उम्मीद की जा रही है कि जस्टिस संजीव खन्ना अपने 6 महीने के कार्यकाल के दौरान भारत की न्याय व्यवस्था की गरिमा को बरकरार रखते हुए महत्वपूर्ण फैसले लेंगे जिससे भारत की न्याय व्यवस्था को निश्चित रूप से ही फायदा पहुंचेगा।